Mrityunjay

Add To collaction

कुछ रिश्ते ऐसे भी 🙂

वो बातें  सजाती रही
मैं मतलब ढूंढता रहा

वो नज़रे झुकती रही
मैं नशाद होता रहा

वो खुल के बोलती रही
मैं शब्द ढूंढता रहा

आदत बदलती रही
मैं अदब दिखाता रहा

वो रकीब से मिलती रही
मैं खातों को जलता रहा

मुहब्बत खेलती रही
रिश्ता मेरा टूटता रहा

खुदको संभालती रही
मैं खुदको मरता रहा 

यादों से मिटाती रही
मैं उसे भूलता रहा

एक आग में रुह जलती रही
एक जिस्म भी मिटता रहा
#mrityunjay

#Error

   6
0 Comments